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राजस्थान के कलाकार (Artists of Rajasthan)

रामगोपाल विजयवर्गीय | भवानी चरण गुई | गोवर्धन लाल जोशी | भूरसिंह शेखावत | देवकीनंदन शर्मा | परमानंद चोयल | कृपालसिंह शेखावत | राम जैसवाल | द्वारका प्रसाद शर्मा | सुरेश शर्मा | ज्योति स्वरूप (पुरूष)

  • Scarlett Hill👋
    Scarlett Hill👋
    March 10, 2025

★★ राजस्थान के कलाकार  (Artists of Rajasthan)★★

★ रामगोपाल विजयवर्गीय
★ भवानी चरण गुई
★ गोवर्धन लाल जोशी
★ भूरसिंह शेखावत
★ देवकीनंदन शर्मा
★ परमानंद चोयल
★ कृपालसिंह शेखावत
★ राम जैसवाल
★ द्वारका प्रसाद शर्मा
★ सुरेश शर्मा
★ ज्योति स्वरूप (पुरूष)

★ रामगोपाल विजयवर्गीय  ★

  • परम्परावादी चित्रकार व साहित्यकार। 
  • जन्म सवाईमाधोपुर के एक छोटे से गांव बालेर में 1905 ई. में हुआ था।
  • कलागुरु - शैलेंद्रनाथ डे
  • सन 1970 में राजस्थान ललित कला अकादमी का सर्वोच्च कला सम्मान कलाविद मिला।
  • सन 1984 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान मिला।
  • सन 1989 में राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा रत्न सदस्यता से सम्मानित किया गया।
  • सर्वाधिक प्रिय विषय - नारी चित्रण
  • प्रमुख साहित्यिक रचना - अभिसार निशा
  • बंगाल व अजंता की कला से प्रेरित होकर टेम्परा तथा वाश तकनीक में कार्य आरंभ किया था।
  • एकल चित्र प्रदर्शनी की परम्परा को प्रारंभ करने वाले राजस्थान के प्रथम चित्रकार।

  • प्रमुख चित्राकृतियाँ - तमाशा दिखाते मदारी, गुबारे वाला, विश्राम करते राम व सीता, वानरों के साथ राम, कृष्ण सुदामा, गंगावतरण, जटायु वध, मजदूर, गणगोर, वृद्ध किसान,रिक्शावाला, तेरहताली, रागिनी बिलावल आदि।
  • जयदेव कृत गीत गोविंद का भी चित्रांकन किया है।

  • इनकी काव्य कला का अनूठा प्रथम प्रयोग काव्य संग्रह "चित्रगीतिका" में दिखाई देता है।
  • सन 2003 में निधन

★ भवानी चरण गुई  ★

  • बी. सी. गुई का जन्म 1910 ई. में वाराणसी बंगाली परिवार में हुआ था।
  • आरम्भिक कला शिक्षा लखनऊ स्कूल ऑफ आर्ट में हुई थी।
  • 1938 में मेयो कॉलेज अजमेर में विभागाध्यक्ष रहे।
  • 1974 में राजस्थान ललित कला अकादमी ने कलाविद से समानित किया।
  • प्रमुख चित्र - रासलीला, प्रतीक्षा, मीरा का विषपान, सरस्वती, शकुंतला, शिव तांडव आदि।

★ गोवर्धन लाल जोशी  ★

  • इनका जन्म राजसमंद के कांकरोली में सन 1914 में हुआ था।
  • इन्हें "भीलों के चितरे" की संज्ञा दी जाती हैं।
  • राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र से जुड़े आदिवासी भीलों के दैनिक जीवन को चित्रित करने में सफल रहे।
  • इनकी घुम्मकड़ परवर्ती के कारण इन्हें लोगों ने बाबा नाम दिया।
  • 1974 में कलाविद सम्मान से सम्मानित हुए।
  • प्रमुख चित्र - भील बालाएं,गणगोर की सवारी, जौहर ज्वाला, राणा प्रताप, श्री नाथजी, गाड़िया लौहार, बनजारे आदि।

★ भूरसिंह शेखावत  ★

  • इनका जन्म बीकानेर के धौंधलिया गांव में सन 1914 में हुआ था।
  • राजस्थानी जनजीवन का सच्चा यथार्थवादी चित्रण करने वाले चित्रकार थे।

★ देवकीनंदन शर्मा  ★

  • इनका जन्म अलवर में सन 13 अप्रैल 1917 को हुआ था।
  • कलागुरु - शैलेंद्रनाथ डे
  • वनस्थली में हर वर्ष ग्रीष्मावकास में फ्रेस्को शिविर का आयोजन कर कला विधार्थियों को इसका ज्ञान कराते थे।
  • ललित कला अकादमी के द्वारा 1981 में कलाविद सम्मान मिला।
  • प्रमुख चित्र - मोर, कबूतर, गिरगिट, बाजार की और, कौए, विश्राम, यात्रा बैलगाड़ी कि यात्रा, श्रम आदि।
  • 80 वर्ष की उम्र में 2005 में निधन

★ परमानंद चोयल  ★

  • सन 1924 में कोटा में जन्म हुआ।
  • आधुनिक प्रयोगवादी चित्रकार
  • "भैसों के चितेरे" की संज्ञा दी जाती हैं।
  • कला गुरु - शैलेंद्रनाथ डे
  • प्रमुख चित्र - झोपड़ी के कौवे, भैसो की श्रंखला, परसेप्शन ऑफ उदयपुर, मांडू के महल, खिड़की, कृष्ण व अर्जुन,चितौड़ के भग्नावशेष आदि।
  • सन 1982 में कलाविद सम्मान से सम्मानित हुए।
  • 2012 में निधन

★ कृपालसिंह शेखावत  ★

  • शेखावाटी क्षेत्र के श्री माधोपुर जिले के मऊ गांव में 1922 में हुआ था।
  • इनकी आरम्भिक कला शिक्षा पिलानी से हुई।
  • इन्होंने हाथीदांत और शिल्क पर भी काम किया।
  • इन्होंने ब्ल्यू पॉटरी में नवीन प्रयोग करके अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
  • राजस्थान की धरती का चितेरा के रूप में प्रसिद्ध।
  • इनका निवास स्थान 'कृपाल कुंभ' के नाम से जाना जाता है।
  • ब्लू पॉटरी - जयपुर की, इसमें चीनी मिट्टी के बर्तनों पर नीले रंग से चित्रकारी करना।
  • कलाविद सम्मान व 1974 में पद्मश्री से सम्मानित हुए।
  • प्रमुख चित्र – डिफोडिल्स, पार्थ सारथी, कृष्ण यशोदा, कृष्ण राधा,पाबूजी की फड़, मूमल, बारहमासा, राग रागिनी प्रमुख विषय रहे हैं।

★ राम जैसवाल  ★

  • इनका जन्म 5 सितम्बर 1937 को मथुरा जिले के सादाबाद कस्बे में हुआ था।
  • उच्च कला की शिक्षा लखनऊ के फाइन आर्ट कॉलेज से प्राप्त की।
  • राजस्थान में इन्हें प्रकृति चित्रण का प्रतिनिधि चित्रकार कहा जाता है।
  • 1997 में इन्हें कलाविद सम्मान से सम्मानित किया गया।
  • प्रमुख चित्र - गलियां, चौराहे, ग्रीष्म, पतझड़, रेगिस्तान, मानसून, झीलें, वर्षों, आंगन की दोपहरी, पूजा का दिन आदि।

★ द्वारका प्रसाद शर्मा  ★

  • इनका जन्म बीकानेर में 1922 में हुआ था।
  • द्वारका प्रसाद को चित्रकला में ख्याति प्राप्त थी
  • द्वारका प्रसाद शर्मा ने पारम्परिक कला उस्ता कला सीखी।
  • बीकानेर के दरबारी चित्रकार ए. एच.मूलर के सम्पर्क से यथार्थवादी चित्रण कला सीखी।
  • 1979 में कलाविद का सम्मान प्राप्त हुआ।
  • प्रमुख चित्र - भिखमंगे, शिव तांडव, पंडित नेहरू, घोड़े, मुगल राजपूत युद्ध आदि।
  • "घोड़े के चितेरे" की संज्ञा दी जाती है।
  • मृत्यु 16 जून 2009 

★ सुरेश शर्मा  ★

  • इनका जन्म 1937 ई. में कोटा में हुआ था।
  • 1964 में उदयपुर के कला विभाग में प्राध्यापक पद ग्रहण किया।
  • राजस्थान में अमूर्त कला को आगे बढ़ाने में इनका विशेष योगदान है। (शीर्षक विहीन)
  • इन्हें रंग शास्त्री भी कहा जाता है।
  • 1985 में इन्हें कलाविद का सम्मान मिला था।
  • रविंद्र भवन दिल्ली में 1973 से 1979 में एकल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
  • सन 2015 में राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा इन्हें "लाइव टाइम अर्चिव मेंट" अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर में लंबे समय तक प्राध्यापक पद पर रहे।
  • चित्र शीर्षक - रेड ऑन रेड,  'अनटाइटल्ड" (अमूर्त कला)

★ ज्योति स्वरूप  ★

  • इनका जन्म 21 अगस्त 1939 को जोधपुर में हुआ था। 
  • ज्योति स्वरूप को इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए जोधपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश दिलवाया परन्तु इनका मन नहीं था इंजीनियरिंग की पढ़ाई में ,चित्रों में रुचि रखते थे।
  • ज्योति स्वरूप राजस्थान के उन आत्मदीक्षित कलाकरों में थे जिन्होंने अमूर्त्त एवं अभियंजनावादी प्रणाली पर चित्रांकन किया।
  • ये वानगोंग, पिकासो एवं पोल क्लि से प्रभावित रहे।
  • इनके चित्रण का माध्यम जलरंग, पेंसिल, तैलरंग एवं एक्रेलिक रंग थे।
  • चित्र श्रंखलाएं - शिवा शक्ति (सर्वप्रथम चित्रित की गई), ज्योति स्वरूप, इनर जंगल आदि
  • चित्रों के साथ म्यूरल बनाने में भी दक्ष थे इन्होंने जयपुर में सिंधीकैंप बस स्टैंड, जीवन बीमा भवन, ट्यूरिज्म डिपार्टमेंट आदि जगहों पर म्यूरल उकेरे थे।
  • राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा इन्हें 1986 में कलाविद सम्मान मिला था।
  • प्रथम बार अपने चित्रों की एकल प्रदर्शनी 1965 में मकलर दीर्घा यु.एस.ए. में की थी।

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