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भारतीय सौंदर्यशास्त्र (Indian Aesthetics)

भारतीय सौंदर्यशास्त्र दर्शनशास्त्र की एक शाखा है। यूनानी भाषा का शब्द एस्थेसिस शब्द से 'एस्थेटिक' शब्द बना है। हिंदी भाषा में इसे सौंदर्यशास्त्र के रूप में जाता है।

  • Scarlett Hill👋
    Scarlett Hill👋
    June 05, 2025
भारतीय सौंदर्यशास्त्र  (Indian Aesthetics)
Image - भारतीय सौंदर्यशास्त्र (Indian Aesthetics)

सौंदर्य शास्त्र दर्शनशास्त्र की एक शाखा है। यूनानी भाषा का शब्द एस्थेसिस शब्द से 'एस्थेटिक' शब्द बना है। हिंदी भाषा में इसे सौंदर्यशास्त्र के रूप में जाता है। एस्थेसिस का अर्थ - ऐंद्रिय सुख की चेतना।

पाश्चात्य साहित्य में एस्थेटिक शब्द प्रथम बार 1750 ई. में अलेक्जेंडर बाउमगार्टन द्वारा अपनी पुस्तक एस्थेटिका के प्रथम अनुच्छेद में 'ऐंद्रिय संवेदनाओ का विज्ञान' कहकर परिभाषित किया है।

रस सिद्धान्त के प्रवर्तक आचार्य भरतमुनि

  • रस सिद्धान्त के प्रवर्तक आचार्य भरतमुनि को माना जाता है। 
  • रस सिद्धान्त का प्राचीनतम प्रतिपादक ग्रँथ भरत का नाट्यशास्त्र है। जो संस्क्रत भाषा में लिखा गया है। इसमें कुल 36 अध्याय व 6000 श्लोक है। (प्रथम शताब्दी ई. पु.)
  • भरत ने नाट्यशास्त्र के षष्ठ एवं सप्तम अध्याय में रस का वर्णन किया हैं।
  • भरत से पूर्व रस की दो परम्पराए थी एक दुहिणी जो आठ रस मानते थे तथा दुसरी वासुकी जो शांत नामक नवां रस भी मानते थे। भरतमुनि ने निष्पतिवाद सिद्धान्त दिया है।
  • भरतमुनि ने दुहिणी द्वारा समर्थित 8 रसों को मान्यता देकर 8 स्थायी, 33 व्यभिचारी एवं 8 सात्विक भावों का निरूपण किया है।


भाव                       रस

  • रति         -         श्रंगार
  • हास         -          हास्य
  • शोक        -          करुण
  • उत्साह       -          वीर
  • क्रोध        -          रौद्र
  • भय         -          भयानक
  • जुगुप्सा      -          वीभत्स
  • विस्मय      -          अदभुत
  • भट्ट लोलट - आरोपवाद का सिद्धांत 
  • श्री शंकुक - अनुमितिवाद का सिद्धांत 
  • भटनायक - भुक्तिवाद का सिद्धांत 
  • आचार्य भामह - अलंकार सिद्धांत दिया
  • आचार्य वामन - रीति-मत
  • आनंदवर्धन - ध्वनि सिद्धांत
  • आचार्य क्षेमेंद्र - औचित्य सिद्धांत



  • अभिनवगुप्त ने अभिव्यक्ति वाद का सिद्धांत दिया है। 
  • अभिनवगुप्त ने नाट्यशास्त्र पर अभिनव भारती नामक टिका लिखी थी। 
  • अभिनवगुप्त नाट्यशास्त्र के चतुर्थ टीकाकार थे। 
  • इन्होंने आनंदवर्धन के ध्वन्यालोक पर भी ध्वन्यालोक-लोचन नामक टिका लिखी थी। 
  • नवां रस शांत रस अभिनवगुप्त के द्वारा जोड़ा गया।

भारतीय सौंदर्यशास्त्र से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)


Q1: भारतीय सौंदर्यशास्त्र क्या है?

भारतीय सौंदर्यशास्त्र भारतीय दर्शन और कला परंपराओं का वह भाग है जो सौंदर्य, कला और अनुभव की प्रकृति को समझने का प्रयास करता है, जैसे – रस, भाव, नाट्य और चित्रकला।


Q2: भारतीय सौंदर्यशास्त्र में 'रस' का क्या महत्व है?

‘रस’ भारतीय नाट्यशास्त्र का मूल सिद्धांत है जो दर्शक में आनंद व अनुभूति उत्पन्न करता है। भरतमुनि के अनुसार कुल 9 रस होते हैं जैसे – श्रृंगार, वीर, करुण आदि।


Q3: कौन-कौन से प्रमुख ग्रंथ भारतीय सौंदर्यशास्त्र से संबंधित हैं?

प्रमुख ग्रंथों में नाट्यशास्त्र (भरतमुनि), साहित्यदर्पण, अभिनवभारती (अभिनवगुप्त) और काव्यप्रकाश शामिल हैं।


Q4: भारतीय सौंदर्यशास्त्र और पश्चिमी सौंदर्यशास्त्र में क्या अंतर है?

भारतीय सौंदर्यशास्त्र आत्मानुभूति, आध्यात्मिकता और भावनात्मक रस की ओर केंद्रित है, जबकि पश्चिमी सौंदर्यशास्त्र मुख्यतः भौतिक सुंदरता, रचना और आलोचना पर बल देता है।


Q5: भारतीय सौंदर्यशास्त्र का आधुनिक युग में क्या महत्व है?

यह कला, सिनेमा, थिएटर, साहित्य और नृत्य में भाव-प्रकाशन और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


Q6: रस सिद्धांत के रचयिता कौन हैं?

रस सिद्धांत के प्रणेता भरतमुनि माने जाते हैं, जिन्होंने इसे अपने ग्रंथ नाट्यशास्त्र में विस्तारपूर्वक वर्णित किया।


Q7: भारतीय सौंदर्यशास्त्र में ‘ध्वनि सिद्धांत’ का क्या स्थान है?

ध्वनि सिद्धांत आनंदवर्धन और अभिनवगुप्त द्वारा विकसित एक प्रमुख साहित्यिक सौंदर्यशास्त्र है, जिसमें निहित अर्थों और संकेतों की महत्ता बताई गई है।


Q8: ‘श्रृंगार रस’ क्या है और इसके प्रकार कौन से हैं?

श्रृंगार रस प्रेम से संबंधित रस है, जो संयोग (मिलन) और वियोग (विछोह) रूप में विभाजित होता है।


Q9: भारतीय चित्रकला में सौंदर्यशास्त्र कैसे परिलक्षित होता है?

भारतीय चित्रकला में प्रतीकात्मकता, भावनात्मक अभिव्यक्ति और आध्यात्मिक तत्वों के माध्यम से सौंदर्यशास्त्र का प्रदर्शन होता है।


Q10: क्या भारतीय सौंदर्यशास्त्र केवल कला तक सीमित है?

नहीं, यह जीवन-दर्शन, धर्म, योग और दर्शन शास्त्र से भी गहराई से जुड़ा हुआ है, जो ‘सत्य’, ‘शिव’ और ‘सौंदर्य’ की एकता को दर्शाता है।

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Gurjar MLMahaniya
Gurjar MLMahaniya
June 05, 2025