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पश्चिम की कला Western Art | बाइजेंटाइन Byzantine | गौथिक कला Gothic art

पुनरुत्थान काल (Renaissance Movement), माईकल एंजिलो चित्र - सिस्टिन चैपल, राफेल चित्र - द स्कूल ऑफ एथेंस, मनीकुट्टिम, पश्चिम की कला

  • Scarlett Hill👋
    Scarlett Hill👋
    June 05, 2025

पश्चिम की कला (Western Art)

पश्चिम की कला (Western Art) | बाइजेंटाइन कला (Byzantine Art) |  गौथिक कला (Gothic art)
Image - पश्चिम की कला (Western Art) | बाइजेंटाइन कला (Byzantine Art) | गौथिक कला (Gothic art)

बाइजेंटाइन कला (Byzantine Art)

  • बाइजेंटियम प्राचीन यूनानी साम्राज्य की पूर्व राजधानी था। कॉन्स्टेन्टाइन द्वारा ईसाई धर्म को राजकीय धर्म घोषित करने के पश्चात बाइजेंटियम ईसाई धर्म व कला का प्रमुख केंद्र बन गया था। गिरजाघरों का निर्माण और सज्जा भव्य स्तर पर प्रारंभ हुई थी। केंद्रीय योजना पर आधारित चौकोर या समचतुर्भुज गिरजाघर बनने लगे थे। 
  • बेसिलिका योजना पर आधारित T आकार के गिरजाघर बाद में क्रॉस आकार में परिवर्तित हो गए।
  • इन गिरजाघरों की भित्ति-सज्जा मनीकुट्टिम चित्रों से की गयी। बाइजेंटाइन कला का परिष्कृत रूप जितना मनीकुट्टिम चित्रों में उभरा है उतना अन्य पद्धतियों में नहीं। 

  • मनीकुट्टिम चित्र परम्परा रोमन काल में प्रचलित थी जिसमें रंगीन संगमरमर के टुकड़ों का प्रयोग किया जाता था। किंतु बाइजेंटाइन कलाकारों ने अपनी रुचि के अनुसार रंगीन शीशों के टुकड़ों का भी प्रयोग किया। रंगों में विशेष रुचि होने के कारण सुनहरी पृष्ठभूमि पर पारदर्शी शीशे का भी प्रयोग किया गया। प्रारंभ में चुना, पत्थर या संगमरमर की श्वेत पृष्ठभूमि का प्रयोग किया जाता था। नीले व सुनहरी रंगों की पृष्ठभूमि का प्रयोग बाद में किया जिससे चित्रों की चमक बहुत बढ़ गई।
  • मनीकुट्टिम चित्र ऊंची लागत के कारण समृद्ध वर्ग द्वारा संरक्षित सार्वजनिक भवनों तक ही सीमित रहे।
  • मनीकुट्टिम चित्रण बाइजेंटाइन काल की प्रमुख कला थी।
  • रोम में संत कोस्मा व संत डॉमियोन के गिरजाघरों में भी अत्यन्त सुंदर मनीकुट्टिम चित्र है।
  • रेवेना के बिशप एकलेसियस ने 526 ई. में दो गिरजाघर बनवाये। प्रथम गिरजाघर मध्यवर्ती योजना पर आधारित था जिसे संत वाइटल को समर्पित किया गया जो 526 - 547 के मध्य बना।

  • दूसरा चर्च सन्त अपोलिनारे को समर्पित है जो 535 - 549 ई. के मध्य निर्मित हुआ।
  • बाइजेंटाइन कला की इस समृद्ध परम्परा में लगभग सौ वर्षों का समय ऐसा आया जबकि आकृति को निषेध कर दिया गया। 726 ई. के सम्राट लियो तृतीय ने कॉन्सटेंटाइन प्रथम के राजमहल के मुख्य द्वार पर लगी ईसा की प्रतिमा को हटा कर उसके स्थान पर क्रॉस खड़ा कर दिया तथा नीचे लिखवा दिया कि सम्राट ईसा ऐसी प्रतिमा नही देख सकता जो न बोल सकती हो और न ही श्वास ले सकती। पुस्तक चित्रण की आइरिश विधि का बहुत प्रचलन रहा।
  • 867 - 1453 ई. इस समय मूर्तियों का स्थान प्रतिमा चित्रों तथा मनीकुट्टिम चित्रों ने ले लिया। युनान में होसियोस ल्युकास मठ के दो गिरजाघर केथालिकोन एवं वर्जिन थेयोटोकोस हल्के रंग के प्रस्तर व लाल रंग की ईंटो को अलंकर्णात्मक रूप में संयोजित किया गया है।
  • पांडुलिपि सज्जा की परम्परा भी ईसाई धर्म में बहुत प्राचीन है ईसाई धर्म पुस्तक का धर्म है। इनका धार्मिक ग्रँथ 'बाइबिल' इतिहास ग्रँथ है।
  • बाइजेंटाइन कला की तुलना वर्तमान काल की अमूर्त कला से की जा सकती है।

गौथिक कला (Gothic art)

  • यूरोप में मध्य काल में प्रचलित थी रोमन की वास्तुकला से जन्मी कला गौथिक कला थी।
  • 12 वीं शताब्दी में उत्तरी फ्रांस, फ्लैंडर्स तथा इंग्लैंड में विकसित शैली को गोथिक शैली कहा जाता था। 
  • यह मुख्यतः भवन निर्माण की कला थी(स्थापत्य कला)। गौथिक का अर्थ 'ऊंचे तीखे मेहराब युक्त भवन'।


गौथिक शैली में भवनों के साथ-साथ तीन कला रूपों को विशेष प्रोत्साहित किया – 


  1. मूर्तिकला, 
  2. रंगीन कांच, 
  3. पांडुलिपि अलंकरण।



  • 13 वी. शताब्दी में गौथिक शैली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व प्राप्त हुआ। 
  • गौथिक कला में चित्र रंगीन कांच की खिड़कियां पर बनाए जाते है।
  • गौथिक कला का दूसरा नाम इचकला (इटली की कला से प्रभावित)।


  • गौथिक कला की आकृतियां सामान्य से लंबी होती है। फ्रांस की आरंभिक गौथिक मूर्तियों पर रोमन्स्क का प्रभाव दिखाई पड़ता है। 
  • गौथिक शैली में बना प्रथम भवन संत डेनिस का गिरजाघर। गौथिक कला केंद्र - फ्रांस, इंग्लैंड, स्पेन, इटली।
  • चित्रकार - सीमाबूए (इटली के फ्लोरेंस स्कूल का प्रसिद्ध कलाकार, इटली के चित्रकला के पिता कहा जाता है)
  • बाइजेंटाइन परम्परा को त्यागने वाले प्रथम फ्लोरेंटाइन चित्रकार थे।
  • जियोतो- ये चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुकार एवं नक्काशीकार थे। गौथिक कला के प्रथम कलाकार।
  • दुचिये - सिएना के महान चित्रकार, सिएना के स्टामारिया नोवेला के एक चर्च हेतु दुचिये ने मैडोना का विशाल चित्र अंकित किया।
  • आंद्रिया - चित्रकला, मूर्तिकला, वास्तुकला, काव्यकला में निपुण थे। प्रसिद्ध चित्र - कुमारी का सिहासनारोहण
  • गौथिक कला की समाप्ति के बाद इटली का पुर्नजागरण काल शुरू हुआ।
  • कामस - सीसे की पतली पट्टियों को आपस में जोड़ना।
  • मुंबई का विक्टोरिया गौथिक और आर्ट डेको 2018 में युनेस्को धरोहर में शामिल है

पुनरुत्थान काल (Renaissance Movement)

  • पुनर्जागरण कला शैली की तिथि का निर्धारण कठिन है तथापि ज्योतो की कला से ही इसका आरंभ मानने पर ज्योतो एक और गोथिक कला का अंतिम कलाकार और दूसरी और पुनरुत्थान का आरम्भिक कलाकार माना जाता है।
  • शास्त्रीय दृष्टि अथार्थ मानवतावादी वैज्ञानिक दृष्टि इसके मूल में रही है इसका प्रथम चरण मोटे तौर पर इटली में 1420 से समझा जाता है ज्योतो को शामिल कर लेने पर पुनर्जागरण काल को अंतिम चरण 1600 ई. तक माना जाता है। इस अवधि में रीतिवाद भी प्रचलित था। मनुष्य को इसका केंद्र बनाया गया। धार्मिक विषयों को मानवीय दृष्टि से अंकित किया गया।
  • इटली 16वी सदी की यूरोपीय उच्च पुनर्जागरण कालीन कला का केंद्र था।
  • पुनरुत्थान कला की सबसे प्रमुख विशेषता थी घनत्वाकन जिसके कारण चित्रित मानवों, प्राणियों व वस्तुओं के आकार ठोस प्रतीत होते है।
  • इस समय के प्रमुख चित्रकार लियोनार्डो द विंसी, माइकल एंजिलो व राफेल थे।


  • माईकल एंजिलो चित्र - सिस्टिन चैपल (1508-12) - आदम की उत्पति, दी होली फेमिली पेंटिग, सोते हुए कामदेव, दी लास्ट जजमेंट (भित्तिचित्र), डेविड (मूर्ति) । 
  • एगोनी एंड एक्सटेसी माईकल एंजिलो के जीवन पर आधारित फिल्म है। स्वयं माईकल एंजिलो ने लिखा था- चित्र में रंग हाथों से नहीं भरे जाते अपितु रंग विधान मस्तिष्क की देन हैं।


  • राफेल चित्र - द स्कूल ऑफ एथेंस, सैनिक का स्वप्न, क्रुसीफिक्शन, सिस्टीन मेडोना, मेडोना ऑफ द गोल्ड फिंच, परनासस, दी मैरिज ऑफ वर्जिन, ज्यूरिस प्रूडेंस, ट्रांसफिग्रेसन। राफेल को डिवाइन पेंटर कहा जाता है।


  • लियोनार्डो विंची चित्र- विट्रुवियन मैन, दी लास्ट सपर(अंतिम भोज) मोनालिसा (लुव्र संग्रहालय), शेलखण्डों की कुमारी।
  • (लियोनार्डो द विंसी की पेंटिंग मोनालिसा को नारी जाती की रहस्यमयी पहेली कहा जाता है।)
  • लियोनार्डो को वंडर ऑफ द एज कहा जाता है।

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